द प्लेटफॉर्म – The Platform review in Hindi

स्पैनिश भाषा की यह फ़िल्म साल 2019 में रिलीज हुई थी। यूँ तो फिल्म हॉरर और थ्रिलर की श्रेणी में रखी गई है, लेकिन भूत-प्रेत से इसका कोई वास्ता नहीं है। इसे असल अर्थो में हॉरर कहा जा सकता है, यानी फिल्म जिंदगी की उस वास्तविक क्रूरता को दिखाती है जिसे हम सब देखना नहीं चाहते। इसीलिए द प्लेटफॉर्म (The Platform) उन फिल्मों में से नहीं है जो आपका शुद्ध मनोरंजन करती हैं। बल्कि ये उन फिल्मों में से है जो एक ओर मनुष्य की लाचारी तो दूसरी ओर उसके उसके स्वार्थीपन और लालच को दिखाती हैं, और इसीलिए उलझन और बेचैनी पैदा करती हैं।

कहानी एक बहुमंजिला इमारत में नायक के जागने के दृश्य से शुरू होती है। बिना सीढ़ियों और बालकनी की यह इमारत एक जेल जैसी है जहाँ से बाहर निकलना संभव नहीं है। हर फ्लोर पर दो लोग रखे गए हैं जो हर महीने की शुरुआत में रात को इमारत के ऑटोमैटिक सिस्टम के जरिये बेहोश कर दिए जाते हैं और सुबह किसी नए फ्लोर पर भेज दिए जाते हैं। फिल्म का नायक गोरेंग इस बिल्डिंग में आने के लिए खुद ही अप्लाई करता है, लेकिन सभी अपनी मर्जी से नहीं आते। एक स्लैब के जरिए बहुत करीने से सजा हुआ, हर तरह का खाना ऊपर से नीचे की ओर जाता है और हर फ्लोर (Platform) पर जो जितना खा सकता है, खाता है।

चूंकि बिल्डिंग में करीब सवा तीन सौ फ्लोर हैं इसलिए ऊपर से 50-60 फ्लोर तक पहुंचते-पहुंचते लिफ्ट का खाना खत्म होने लगता है। उसके बाद लिफ्ट नीचे जाती तो है पर उसका कोई मतलब नहीं बनता। यानी जो लोग भी नीचे के फ्लोर पर होंगे उनमें कुछ तो बचा-खुचा खाएँगे और बाकियों को कुछ भी नहीं मिलेगा। सवाल है कि क्या इस व्यवस्था को बदला जा सकता है? क्या सबको खाना मिल सकता है?

क्या तुम कम्युनिस्ट हो?

यह सवाल गोरेंग से पूछा जाता है। फिल्म में बहुत कुछ है, सबकुछ को बताया नहीं जा सकता। लगभग सवा घंटे की यह फिल्म ऐसी जिज्ञासा और रोमांच पैदा करती है कि इसके खत्म होने का पता ही नहीं चलता। फिल्म समीक्षकों ने फ़िल्म को काफी सराहा है और फ़िल्म की व्याख्याएँ भी बहुत ढंग से की गई हैं। उदाहरण के लिए इसे बिब्लिकल मिथ से भी जोड़कर देखा गया है। बिल्डिंग को नरक के प्रतिरूप और लोगों को कर्मफल भोगने वाले के रूप में देखने से लेकर अदन के बाग और सेब तक की बातें इस फिल्म की व्याख्या में की गई हैं।

हालाँकि इसमें संदेह नहीं कि फ़िल्म हमारे समाज की वर्गीय संरचना को भी प्रतिबिंबित करती है। चूंकि फ़िल्म खुद आशय स्पष्ट नहीं करती, इसलिए व्याख्या दर्शकों-समीक्षकों के हाथ में है और गुंजाइशें खूब हैं। क्राइम और सस्पेंस में रुचि रखने वालों को फिल्म अच्छी लगनी चाहिए और अगर आप हिंसक दृश्य देखकर विचलित न होते हों और वर्गीय ढांचे में दिलचस्पी रखते हों तो फ़िल्म जरूर ही देखने और सोचने लायक है।

The Platform Trailer

आपको क्या लगता है?

(रिव्यू के लिखे जाने तक फिल्म को ढाई लाख से ज्यादा लोगों ने IMDB पर 7.0 की रेटिंग दी है)

Related posts

नेफ़ेरियस : मृत्युदंड और शैतान की सोच

भक्षक : सरल और संवेदनशील फिल्म

एनिमल : अल्फा मैन और बन्दर